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राज्‍यसभा सदस्‍य विवेक तन्‍खा ने मुख्‍यमंत्री, भाजपा प्रदेशाध्‍यक्ष और मंत्री भूपेंद्र सिंह पर जबलपुर कोर्ट में दस करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायर किया।

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जबलपुर। राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने ओबीसी मामले में गलत बयानी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। इसके लिए कोर्ट फीस बतौर डेढ़ लाख रुपये का चेक जमा करा दिया गया है। तन्खा की ओर से पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने जिला अदालत, जबलपुर में मुकदमा दायर किया। जिस पर आगामी सप्ताह सुनवाई संभावित है।

जबलपुर जिला कोर्ट में मुकदमा करते हुए पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने बताया कि मेरे पक्षकार पर ओबीसी मामले में गलत बयानी की गई। पूर्व में नोटिस जारी कर तीन दिवस में माफी मांगने को कहा गया था। पर उनके द्वारा माफी नहीं मांगी गई। गलत बयानी में वो बातें कही गई, जो मेरे पक्षकार ने न तो याचिका में लगाई थी और न ही कोर्ट की प्रक्रिया के दौरान ही ऐसा कुछ बोला था।

राज्यसभा सदस्य पहले ही रख चुके हैं अपना पक्ष : तन्खा का दावा है कि सीएम ने मुझ पर मिथ्या आरोप लगाते हुए मेरे साथ या कांग्रेस और जनता के साथ ही छल नहीं किया है। इन्होंने कोर्ट-कचहरी के साथ भी छल किया है। सर हमारा कटा है, या उनका कटा है। यह जनता तय करेगी। हम जनता की अदालत में भी हैं और कोर्ट में भी है। अब दोनों बहस साथ-साथ चलेगी।

सरकार नहीं चाहती ओबीसी को आरक्षण मिले : तन्खा ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी को आरक्षण मिले। कांग्रेस ने 1994 में ही पंचायत और निकाय चुनावों में ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसी फरवरी में हाई कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। पर सरकार की ओर से इस स्टे काे हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में हम रोटेशन और परिसीमन के मामले को लेकर गए थे। सुनवाई के दौरान मेरी बात समाप्त हो चुकी थी। सरकार के वकीलों को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए था, जो वो नहीं कर पाए।

ये है पूरा मामला : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमपी में ओबीसी सीटों के निर्वाचन पर रोक लगाए जाने के बाद सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इसके लिए विवेक तन्खा काे जिम्मेदार ठहराया था। दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका के चलते ऐसा आदेश हुआ। इसे मिथ्या और आधारहीन बताते हुए विवेक तन्खा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने 19 दिसंबर को 10 करोड़ रुपये मानहानि का दावा करते हुए सीएम सहित तीनों नेताओं को नोटिस भेजा था। नोटिस में तीन दिन में माफी मांगने की बात लिखी थी। क्रिमिनल केस में कहा गया है कि इस आरोप से तन्खा की सामाजिक छवि धूमिल हुई है।

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