क्या है नौकरी के बदले जमीन का मामला : जिसमें फंस गया है, लालू-राबड़ी का परिवार..

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चार्जशीट में नौकरी पाने वालों को भी शामिल किया गया है।

नई दिल्ली/पटना । लालू प्रसाद के वर्ष 2004-2009 के रेल मंत्री के कार्यकाल में बगैर किसी विज्ञापन के कई लोगों को रेलवे में ग्रुप डी पर नौकरी दी गई। नौकरी देने के बदले उनके या परिवार के सदस्यों से जमीन लिखवाई गई। ये जमीन राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर 5 सेल डीड और 2 गिफ्ट डीड के जरिए हस्तांतरित की गई। जमीन का कुल रकवा 1,05,292 वर्गफुट है। सर्किल रेट के हिसाब से अभी इसकी कीमत 4,39,80,650 रुपए है। आरोप है कि जमीन देनेवालों को बदले में रेलवे के अलग-अलग जोन में नौकरी दी गई।

पहले अस्थायी फिर स्थायी नौकरी :-

आरोपों के अनुसार, लालू यादव रेल मंत्री थे तो पहले अस्थायी तौर पर नियुक्ति कराते थे। फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी हो जाती थी, नौकरी को स्थायी कर दिया जाता था। इस तरह से सैकड़ों लोगों और अपने सगे-संबंधियों को नौकरी देने का आरोप लालू यादव पर है। इस मामले में लालू के ओएसडी रहे भोला यादव पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। भोला को भी आयकर और सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

इन लोगों से लिखवाई गई जमीन :-

सीबीआई (CBI) के एफआईआर (FIR) के अनुसार, राजकुमार, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को नौकरी देने के नाम पर किशुन देव राय और उनकी पत्नी सोनमतिया देवी से छह फरवरी 2008 को महुआबाग की 3375 वर्गफुट जमीन राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर कराई गई। जमीन की कीमत 3.75 लाख दिखाई गई है। इसके एवज में तीनों को सेंट्रल रेलवे, मुबंई में नौकरी मिली। संजय राय, धर्मेद्र राय, रवींद्र राय ने अपने पिता कामेश्वर राय की महुआबाग की 3375 वर्गफुट जमीन छह फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर रजिस्ट्री की. इसके एवज में इन्हें सेंट्रल रेलवे, मुंबई में ग्रुप-डी में नौकरी मिली।

इसी तरह किरण देवी नाम की महिला ने 28 फरवरी 2007 को बिहटा की अपनी 80905 वर्गफुट (एक एकड़ 85 डिसमिल) जमीन लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती के नाम कर दी। इस जमीन के एवज में किरण देवी को 3.70 लाख रुपए और उनके पुत्र अभिषेक कुमार को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी दी गई।

हजारी राय ने महुआबाग की अपनी 9527 वर्गफुट जमीन 10.83 लाख रुपए लेकर मेसर्स एके इंफोसिस के नाम लिख दी। इसके बदले में हजारी राय के दो भांजे दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार में से एक को पश्चिम सेंट्रल रेलवे, जबलपुर और दूसरे को पूर्वोत्तर रेलवे कोलकाता में नौकरी दी गई। सीबीआई की जांच में पाया गया कि इस कंपनी की सारी संपत्ति पूरे अधिकार के साथ वर्ष 2014 में लालू प्रसाद की बेटी और पत्नी को हस्तांतरित किए गए।

वहीं, लाल बाबू राय ने महुआबाग की अपनी 1360 वर्गफुट जमीन 23 मई 2015 को राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर की। इसके एवज में लाल बाबू को 13 लाख रुपए मिले। इसके पहले ही उनके पुत्र लालचंद कुमार को 2006 में उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर में नौकरी लग गई थी।

इसी प्रकार ब्रजनंदन राय ने महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफुट जमीन 29 मार्च 2008 को गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख लेकर ट्रांसफर की। बाद में यह जमीन हृदयानंद चौधरी ने लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव के नाम कर दी । जमीन जब तोहफे में दी गई उस वक्त सर्किल रेट 62.10 लाख रुपये था। हृदयानंद चौधरी को पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में साल 2005 में ही नौकरी मिल गई थी।

विशुन देव राय ने महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफीट जमीन 29 मार्च 2008 को सीवान के रहनेवाले ललन चौधरी के नाम ट्रांसफर की। ललन चौधरी ने यह जमीन हेमा यादव को 28 फरवरी 2014 को उपहार में दे दी। सीबीआई के मुताबिक इस तोहफे के बदले में विशुन देव राय के पोते पिंटू कुमार को पश्चिम रेलवे, मुंबई में नौकरी दी गई।

ऐसे में आरजेडी और लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि लालू यादव फिर से राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। 9 और 10 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाले आरजेडी के अधिवेशन में इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी।

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