भोपाल। प्रदेश में भाजपा की सरकार और इस सरकार द्वारा व्यापमं के समय से प्रदेश की प्रतिभाओं के भविष्य के साथ शुरू हुआ खिलवाड़ थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में नर्सिंग के छात्रों की हजारों उत्तर पुस्तिकाएं भीग गई हैं। उत्तर पुस्तिकाओं पर पानी पड़ने से स्याही फैल गई है। सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में किस आधार पर इन्हें जांच कर अंक दिए जाएंगे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि इन विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उत्तर पुस्तिकाओं के भीगने के बात तो स्वीकार की है। मगर कितनी कापियां भीगी हैं, उनकी संख्या प्रशासन को पता नहीं है। परीक्षा नियंत्रक और कुलपति दोनों का कहना है कि उत्तर पुस्तिकायें परीक्षा केंद्र से ही भीग कर आई हैं। प्रश्र यह है कि यदि वे परीक्षा केंद्र में ही भीग गई थी तो फिर विश्वविद्यालय ने उन्हें स्वीकार क्यों किया? सच बात तो यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को यह भी मालूम नहीं है कि वे किन किन केंद्रों पर भीगी हैं और इनकी कुल संख्या क्या है?
जसविंदर सिंह ने कहा है कि इस विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं के भीगने की यह तीसरी घटना है। एक बार उत्तर पुस्तिकायें जिस कमरे में रखी गई थी, उसमें पानी भर गया था और एक बार विश्वविद्यालय प्रांगण में उत्तर पुस्तिकायें जलने और लेडीज टायलेट के पानी से गल जाने की घटनाएं घट चुकी हैं। दोनों ही बार विश्वविद्यालय की ओर से एफआइआर दर्ज करवाई गई थी, जिसे बाद में चुपचाप वापस ले लिया गया था।
माकपा नेता ने कहा है :-
शायद छात्रों को पहले ही इस प्रकार उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होने की आशंकाएं थी। इसलिए छात्रों की ओर से हर संकाय की उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने वाले केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और फायर सेफ्टी की मांग की थी।
जसविंदर सिंह ने कहा :-
यह घटना महज हादसा नहीं है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और भ्रष्ट तरीके से चहेतों को पास करने की साजिश का हिस्सा है। विडंबना तो यह है कि प्रदेश के बड़बोल चिकित्सा शिक्षा मंत्री भी इस हादसे पर चुप हैं और यही चुपी संदेह पैदा कर रही है|