ग्वालियर : तानसेन के आंगन में दो सभ्यताओं के सुरों का मिलन,ऊँची तान के साथ नैसर्गिक गायकी से रसिक हुए मंत्रमुग्ध।

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ग्वालियर 27 दिसम्बर 2021/ गान महिर्षि तानसेन की याद में आयोजित हो रहे सालाना संगीत समारोह में सोमवार की शाम विशेष बखुशनुमा रही। इस सभा में हिंदुस्तानी और यूरोपियन सभ्यताओं के संगीत साधकों की प्रस्तुतियाँ हुईं। संगीत रसिकों ने ऐसा महसूस किया मानो सुर सम्राट तानसेन के ऑंगन में दो सभ्यताओं के सुरों का मिलन हो रहा है।
सोमवार की शाम की सभा का आगाज़ शंकर गान्धर्व संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के ध्रुपद गायन से हुआ। राग यमन में चौताल की बंदिश के बोल थे – “जय शारदा भवानी”। प्रस्तुति में पखावज पर श्रीबमुन्नालाल भट्ट एवं हारमोनियम पर श्री नारायण काटे ने साथ दिया।

इसके बाद पहली प्रस्तुति में अर्जेंटीना के देसिएतों आनंदते ने विश्व संगीत की प्रस्तुति दी। देसीएतों ने एकॉस्टिक गिटार के साथ कई धुनें और सांग्स पेश किए। उन्होंने कई स्पेनिश सांग्स लेटिनो अमेरिकी रिदम पर पेश किए। आपने बोलेरो स्टाइल में सालसा स्टाइल में कई गीत पेश किए । इनमें साबोर ए एम इंनोविडबल खास हैं। देसीएतो मूलतः लेटिन मूल के हैं और दुनिया भर में अपनी प्रस्तुतियां देते हैं।

 

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