तलाक के कई मामलों में क्रूरता को आधार बनाया जाता है,अधिकांश तौर पर पति या ससुराल पक्ष की क्रूरता के मामले सुनने में आते हैं, लेकिन कुछ समय पहले पत्नी द्वारा की गई क्रूरता को भी अदालतों ने संज्ञान में लिया और उसे तलाक का आधार माना गया, यहां ऐसे ही कुछ मामले दिए गए हैं।
मुंबई। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत महिला द्वारा क्रूरता को आधार बनाकर तलाक दिया। मामला नलिनी और गणेश का है। दोनों का एक बेटा निलेश है। नलिनी हमेशा पति को ‘मोटा हाथी’ कहकर बुलाती रही। नलिनी कई बार गणेश के आग्रह को ठुकराकर ‘मोटा हाथी’ कहकर अक्षमता को लेकर ताने मारती थी। यहां तक कि वह हिंसा पर उतारू हो जाती और खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या करने की धमकी देती। साथ ही यह भी कहती कि तुझे और तेरे परिवार को दहेज हत्या के झूठे मामले में फंसा दूंगी।
जज ने यह माना कि इस तरह के ताने मजाक नहीं वरन क्रूरता है और गणेश के प्रेम और लगाव का मजाक बनाया जा रहा है। साथ ही उसकी झूठी धमकियां गणेश को संपत्ति के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर देती थी।
इसी प्रकार का एक वाकया सुष्मिता का है। सुष्मिता अपनी इच्छा से अपनी मां के साथ पिछले 6 साल से रह रही थी। पति आनंद से उसकी अपेक्षा रहती थी कि वह उन दोनों के बच्चे दुर्गेश के लिए पैसा देता रहे। इससे परेशान होकर आनंद ने अदालत में तलाक का आवेदन किया। पत्नी की इसी क्रूरता को आधार बनाकर अदालत ने तलाक दे दिया।
इसी प्रकार अरुंधति और रौनक की शादी को तीन ही माह बीते थे। कुछ समय बाद अरुंधति ने रौनक पर इस बात के लिए दबाव बनाया कि वह माता-पिता को घर से निकाले। वह चाहती थी कि रौनक उसकी जरूरत और कॉस्मेटिक्स के लिए खर्च करें। जब रौनक ने इस बात से इंकार कर दिया तो अरुंधति ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। साथ ही उसने रौनक के माता-पिता को भी प्रताड़ित किया। तब रौनक ने अरुंधति से तलाक की अर्जी दाखिल की। अरुंधति ने अपनी ओर से दहेज प्रताड़ना का झूठा मामला पति और ससुराल पक्ष पर बनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जब मामला गया तो पत्नी की क्रूरता का आधार बनाकर तलाक दे दिया गया। जबकि अरुंधति की याचिका खारिज कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने भी पत्नी की क्रूरता को तलाक का आधार मानते हुए व्यवस्था दी है कि यदि पत्नी अपने पति पर विवाहेतर संबंध का झूठा आरोप लगाती है, तो वह क्रूरता की श्रेणी में आएगा। ऐसा होने पर पति को तलाक पाने का पूरा हक होगा। न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने विश्वनाथ अग्रवाल की अपील स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था दी। महाराष्ट्र के अकोला निवासी अपीलकर्ता की पत्नी एस सरला विश्वनाथ ने स्थानीय दैनिक में विज्ञापन प्रकाशित कराकर पति को व्यभिचारी और पियक्कड़ बताया था।
खंडपीठ ने निचली अदालत और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए अपीलकर्ता की तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली, लेकिन पत्नी को मुआवजे के तौर पर एकमुश्त 50 लाख रुपए देने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने फैसले में लिखा है कि अपीलकर्ता की पत्नी द्वारा प्रकाशित विज्ञापन से उसके पति और ससुर को मानसिक परेशानी हुई है और यह तलाक का पर्याप्त आधार बनता है। खंडपीठ ने कहा कि पत्नी ने अपने व्यापारी पति की प्रतिष्ठा की परवाह भी नहीं की। पत्नी ने यह दलील दी थी कि उसने बच्चों के हितों की रक्षा के लिए इस तरह का विज्ञापन दिया, लेकिन इस तरह की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वसनीय माना।
हिंदू विवाह कानून में क्रूरता को धारा 13(1) (ia) में समझाया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवाह में क्रूरता को विस्तृत रूप से समझाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई बर्ताव बताए हैं, जो क्रूरता की श्रेणी में आते हैं। क्रूरता की परिभाषा का दायरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। यह समाज के लिए चिंता का विषय है।
फैक्ट :- विवाद के बाद पति या पत्नी की चुप्पी क्रूरता की श्रेणी में आती है और हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार यह तलाक का आधार बन सकती है।
वंदना शाह
अधिवक्ता, फैमिली कोर्ट, हाईकोर्ट, मुंबई
अधिवक्ता, फैमिली कोर्ट, हाईकोर्ट, मुंबई