भोपाल। एक निजी स्कूल की बस में बेटी के साथ हुई घटना, विश्वास को हिला देने वाली है। माता-पिता अपने बच्चों को भरोसे पर स्कूल भेजते हैं, यह भरोसा बनाए रखना स्कूल प्रबंधन का दायित्व है। दोषी ड्रायवर और आया के खिलाफ कार्यवाही के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए। स्कूल बसों में चलने वाले स्टाफ का वेरिफिकेशन स्कूल प्रबंधन की जवाबदारी है। बच्चों को हम दरिंदों के हवाले नहीं छोड़ सकते। बस में सीसीटीवी कैमरे काम क्यों नहीं कर रहे थे, यह स्कूल प्रबंधन को देखना चाहिए था। यह स्कूल प्रबंधन का दायित्व है। समाज में यह संदेश नहीं जाए कि प्रभावशाली व्यक्तियों पर कार्यवाही नहीं होगी।
यह विश्वास मजबूत होना चाहिए कि सरकार है तो अपराधी छूटेंगे नहीं, निश्चित समय में कड़ी कार्यवाही की जाए, ताकि प्रबंधन अपनी जवाबदारी और दायित्व समझे। भोपाल के सभी स्कूलों के ड्रायवरों तथा बसों में चलने वाले स्टाफ का परीक्षण हो। अपराधी रिकॉर्ड और चारित्रिक रूप से दोषी व्यक्तियों को ना रखा जाए। इस स्टाफ के प्रशिक्षण और कानूनी प्रावधानों के संबंध में कार्यशाला आयोजित की जाएं। इसके साथ ही बच्चों और पालकों में पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के संबंध में जागरूकता और जानकारी पर केन्द्रित प्रशिक्षण सभी शासकीय और निजी शालाओं में आयोजित किए जाएं। पुलिस भी पालकों और समाज के साथ प्रभावी तरीके से इस विषय पर संवाद करें।