आपके खिलाफ कोई झूठा FIR करे तो ऐसे करें बचाव, नहीं होगी गिरफ्तारी।

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आपका वकील इन धाराओ के तहत हाईकोर्ट में आपके लिए जमानत अर्जी लगा सकता है।

 

न्‍याय पालिका हमारी सुरक्षा के लिए बनी हैं । हमें न्‍याय दिलाने के लिए बनी हैं । लेकिन कुछ लोग कानून का दुरुपयोग करते हैं। साजिशन, किसी दुश्‍मनी में या फिर द्वेषवश कुछ लोग किसी के खिलाफ झूठा मुकदमा कर देते हैं। झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को फंसा देते हैं। और परेशानी में डाल देते हैं। ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है ।

क्‍या ऐसी स्थिति में फसने पर कोई कानूनी रास्‍ता है जिससे बचाव हो सके ?

जी हां, बचाव के लिए कानूनी रास्‍ता है।

ग्वालियर कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्‍ता आकाश शर्मा ने बताया :-

अगर आपके खिलाफ कोई झूठी एफआईआर दर्ज करवा दे तो आईपीसी (IPC) यानी भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में इसके बचाव के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। आईपीसी की धारा 482 के तहत झूठी एफआईआर को चैलेंज किया जा सकता है।

अगर आपके खिलाफ या आपके किसी जाननेवाले के खिलाफ कोई झूठी एफआईआर (False FIR) दर्ज करादे तो आप एडवोकेट (Advocate) के माध्यम से धारा 482 के तहत उसे हाईकोर्ट (High Court) से राहत मिल सकती है। इस मामले में आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और पुलिस (Police) को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी। लेकिन एफआईआर (FIR) को झूठा (False) साबित करने के लिए आपके पास पर्याप्‍त सबूत (Evidence) होने चाहिए।

आपका वकील (Advocate) इस धारा के तहत हाईकोर्ट (High Court) में आपके लिए अर्जी लगा सकता है। इसके जरिये आपको अपनी बेगुनाही का सबूत देना होगा। आप सबूत तैयार करने के लिए वकील (Advocate) की मदद से एविडेंस (Evidence) तैयार रख सकते हैं। साथ ही अपने पक्ष में गवाह भी तैयार रख सकते हैं। अपनी अर्जी में इनका जिक्र जरूरी होगा।

जब यह मामला कोर्ट में आएगा और कोर्ट को लगेगा कि आपके पक्ष में पेश किए गए सबूत (Evidence) और गवाह (Witness) पर्याप्‍त हैं, तो पुलिस (Police) को तुरंत अपनी कार्रवाई रोकनी होगी। यदि किसी भी मामले में आपको साजिश करके फंसाया जा रहा हो तो आप हाईकोर्ट (High Court) में अपील कर सकते हैं।

अगर आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट (Arrest Warrant) भी जारी होता है तो :-

पुलिस आपको गिरफ्तार (Arrest) नहीं कर सकती। यानी झूठी एफआईआर (False FIR)  होने पर आप वकील के जरिये सीधे हाईकोर्ट (High Court) की शरण में जा सकते हैं। कोर्ट के जज (Judge) को जरूरी लगेगा तो वह जांच अधिकारी को जांच के संबंध में आदेश-निर्देश भी दे सकते हैं । हाईकोर्ट (High Court) में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती ।आप सही हुए तो आपको राहत मिल जाएगी। लेकिन आप गलत हुए तो आपको कोई राहत नहीं मिलेगी।

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