- सिर्फ 3485 वर्गफीट जमीन पर दावेदारी को लेकर विवाद
ग्वालियर । मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में ग्वालियर चम्बल संभाग में भूमाफियो का हौसला इतना बुलंद हो गया है की अब ना तो माफियाओ को पुलिस और न्यायालय का भय बिल्कुल भी नही रहा है दरअसल ऐसा ही मामला एक संज्ञान में आया ग्राम मिहोनी, तहसील व जिला भिंड स्थित 3485 वर्गफीट जमीन के नामांतरण के संबंध में सुबोध ने तहसीलदार के समक्ष आवेदन दिया। इसमें वसीयत को आधार बनाकर स्वयं का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने की गुहार लगाई ।
तहसीलदार महोदय के द्वारा 28 अगस्त 2018 को उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया। इस आदेश के खिलाफ सुबोध के चाचा ने एसडीओ न्यायालय में अपील की। जिसे स्वीकार करते हुए 6 मार्च 2021 को तहसीलदार के आदेश को निरस्त कर दिया गया। एसडीओ के आदेश के खिलाफ कमिश्नर, चंबल संभाग के यहां अपील की गई। 16 नवंबर 2021 को कमिश्नर ने तहसीलदार के आदेश को सही माना और एसडीओ के आदेश को निरस्त कर दिया।
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Toggleपहले भतीजे, फिर पति ने मृत घोषित किया
महज 3485 वर्गफीट जमीन के लिए पहले भतीजे, फिर पति ने छाया देवी को मृत घोषित कर दिया। इसका खुलासा तब हुआ जब हाई कोर्ट में पति सियाराम ने याचिका प्रस्तुत की और भतीजे सुबोध को चाची की फर्जी वसीयत तैयार कर जमीन अपने नाम कराने का आरोप लगाया।
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न्यायालय के समश्र बोली महिला “मैं जिंदा हूं”
पति ने हाई कोर्ट से कहा कि वह पत्नी का उत्तराधिकारी है, ऐसे में भतीजे का नाम राजस्व रिकॉर्ड में नहीं जोड़ा जा सकता। प्रकरण की जानकारी लगते ही चाची छायादेवी ने कोर्ट को बताया कि वह जीवित है और उसने कोई वसीयत तैयार नहीं की है। सभी पक्षों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने तहसीलदार से लेकर कमिश्नर , चंबल संभाग के आदेश को निरस्त कर दिया और पूर्व की स्थिति को यथावत रखते हुए राजस्व अभिलेख में छायादेवी का नाम दर्ज करने का आदेश दिया।
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यहां से मामला हाई कोर्ट पहुंचा
पति सियाराम ने कमिश्नर के आदेश को चुनौती दी। प्रकरण की जानकारी जब पत्नी छायादेवी को मिली, तो वे एडवोकेट मनीष शर्मा के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हुईं। एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि छायादेवी ने कोई वसीयत तैयार नहीं कराई है। “भतीजे और पति ने कोर्ट से इस बात को छुपाया कि वह जिंदा है”।
17 जुलाई 2023 को कोर्ट ने छायादेवी के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट तलब की। जीवित होने की आधिकारिक पुष्टि होने पर कोर्ट ने छायादेवी को ही जमीन का मालिक माना और पूर्व में दिए सभी आदेशों को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।
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