ग्वालियर / प्रदेश के मुखिया ने अतिथि विद्वानों के लिए तमाम घोषणाएं तो कर दी लेकिन भेदभाव के आरोपों से सरकार फिर भी नहीं बच पाई है। अब कॉलेजों की जनभागीदारी समिति से जुड़े अतिथि विद्वानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर समान वेतन न मिलने पर मतदान न करने का ऐलान कर दिया है। चुनावी सीजन में सौगातों का पिटारा खोलने के बावजूद सरकार असंतोष की कड़वाहट दूर नहीं कर पा रही है।
सतना में बुधवार को शासकीय इंदिरा कन्या महाविद्यालय की जन भागीदारी समिति से नियुक्त अतिथि विद्वानों ने प्रदर्शन कर नाराजगी जताई।
Table of Contents
Toggleअतिथि विद्वानों ने सरकार पर भेदभाव का लगाया आरोप
अतिथि विद्वानों के बारे में घोषणाएं करते वक्त जनभागीदारी समिति से नियुक्त कर्मचारियों को दरकिनार किया गया। उनके बारे में न तो विचार किया गया और न ही कोई घोषणा की गई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम सब भी शासकीय कॉलेजों में काम कर रहे हैं और शासन की व्यवस्था अनुसार बनाई गई समितियों के माध्यम से ही नियुक्त किए गए हैं। पीएचडी और नेट-सेट क्वालीफाई कर के आए हैं।स्व वित्तीय आधार और जनभागीदारी से नियुक्त अतिथि विद्वान भी अन्य की ही तरह पूरा काम कर रहे हैं। शैक्षणिक कार्य के अलावा सौंपे जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्य भी करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब काम एक ही जैसा है तो फिर भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं अतिथि विद्वानों ने कहा
मुख्यमंत्री एक तरफ महिलाओं को बहन बोल कर उनके सशक्तिकरण की बात करते हैं दूसरी तरफ महिला अतिथि विद्वानों को दरकिनार करते हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार उन्हें भी समान कार्य होने के कारण समान वेतन और पदनाम दे। अन्यथा अतिथि विद्वान मतदान का बहिष्कार करेंगे।