MP Election 2023 : कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर

Spread the love

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर

 

उम्मीदवार के चेहरे ही हार जीत तय करेंगे, विकास के मुद्दे पर लड़ा जायेगा चुनाव, किसी भी दल की कोई सुनामी लहर नही

ग्वालियर। आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की स्थिति 2018 के चुनावो जैसी ही दिखाई दे रही हैं। दोनों ही दल अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि प्रदेश में किसी भी दल की कोई सुनामी लहर दिखाई नही दे रही हैं। दोनो ही दल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं।

चुनावी मैदान में दोनों ही दलों के उम्मीदवारो में काफी कड़ी टक्कर दिखाई दे रही हैं। राजनीतिक दलों के उम्मीदवार के चेहरे ही हार जीत का अंतर पैदा करेंगे। उम्मीदवार की साफ स्वच्छ ईमानदार छवि और जमीन से जुड़े सेवाभावी नेताओं को ही आम जनता पसंद करती हैं। देखते है कौन सी पार्टी के उम्मीदवार साफ स्वच्छ बेदाग छवि वाले नेता को अपना उम्मीदवार घोषित करती हैं, जिन्हे आम जनता पसंद करती हैं।

दलबदलु और बगावती तेवरों से हो सकता है नुकसान

भाजपा व कांग्रेस में भगदड़ मची हुई हैं। सत्ता के लालची, स्वार्थी, मतलबी नेताओं को विधानसभा चुनावों में टिकिट नहीं मिलने की दशा में दल बदल रहे है। यह दलबदलू, स्वार्थी नेता अंदरूनी भीतरघात करेंगे। अगर पार्टी ने इन दलबदलुओं को विधानसभा चुनावों में टिकिट दिया तो वर्षो से जुड़े, सेवाभावी कार्यकताओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती हैं और उनके गहरा धक्का लगता हैं।

जिससे पार्टी में अंदरूनी भीतरघात होने का अंदेशा ज्यादा बढ़ जाता है। जिस दल में जितना अंदरूनी भीतरघात होगा और बगावत होगी। वह पार्टी सत्ता से दूर जा सकती हैं। भीड़ को कभी भी वोट बैंक नहीं माना जा सकता है। यह भगदड़ राजनीतिक दलों को लाभ न पहुंचाते हुए अंदरुनी भीतरघात कर नुकसान पहुंचाएगी।

दलबदलु, स्वार्थी, मतलबी नेताओं को कोई भी दल टिकिट न दे, पहले उनकी वफादारी देखे

राजनीतिक दल की यह नीति होना चाहिए कि जो दल बदल कर पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं उन्हें पार्टी 5 साल तक उनकी वफादारी देखें। और उन्हे इस चुनाव में टिकिट न देते हुए आगामी 5 साल बाद चुनावो में उनके कार्य एवम व्यवहार व वफादारी को देखकर ही टिकिट दे। दलबदलुओं के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं होनी चाहिए बल्कि पुराने कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाना चाहिए। यह दलबदलू नेता कभी भी बिकाऊलाल बनकर सत्ता के समीकरण घर वापसी बोलकर बिगाड़ सकते हैं।

कौन बनेगा मुख्यमंत्री? कमल या कमलनाथ

आगामी विधानसभा चुनावों में किसकी सरकार बनेगी और कौन बनेगा मुख्यमंत्री? यह सवाल भी आम जनता के मन में चल रहा हैं। कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ही होगे। किन्तु अगर भाजपा पुनः सत्ता प्राप्त करने में सफल होती हैं तो भाजपा की और से मुख्यमंत्री कौन होगा?

आपको बता दें कि भाजपा हाईकमान ने आगामी विधानसभा चुनावो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ रहे हैं और विधानसभा चुनावों के टिकिट भी भोपाल से न होते हुए इस बार दिल्ली से फाइनल हो रहे हैं। मध्यप्रदेश के चुनावो की संपूर्ण कमान अमित शाह के हाथों में हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नर्वस नजर आ रहे हैं। हालाकि भाजपा ने उन्हें बुधनी सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। प्रदेश के कद्दावार मंत्रियों में डॉ नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह आदि भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं।

भाजपा के चुनावी पोस्टर, बैनरों में सिर्फ नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखा गया है और प्रदेश के किसी भी बड़े नेता का चेहरा सामने नही रखा है। अभी तक जो टिकिट घोषित हुए हैं उनमें प्रदेश के कद्दावर नेता, सांसद, केंद्रीय मंत्रियों को उनकी बगैर सहमति के टिकिट दे दिया है जो विधानसभा का चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे। उनमें प्रमुख रूप से नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, आदि कद्दावर नेताओं को टिकिट दिया गया हैं जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते है। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना चाहता है। ऐसे में अंदाज लगाना मुश्किल हो रहा है कि प्रदेश में भाजपा अगर सत्ता में पुनः वापस लौट आती है तो कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!