नव नियुक्त मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार में हुए 2 बड़े घोटालों की फाइलें तलब कीं

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1600 करोड़ रुपये की DITC स‎हित एक हजार करोड़ रुपये के जल जीवन यौजना के घोटाले की जांच

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से नव नियुक्त मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा फुल एक्शन मोड में काम कर रहे है।मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही भजनलाल शर्मा ने पिछली कांग्रेस के शासनकाल में हुए घोटालों के जांच में जुट गये है । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि भष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति पर काम करेंगे। एक भी भ्रष्टाचारी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकेगा।

इस संबंध में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के मुख्यमं‎त्रित्व काल  में हुए दो बड़े घोटालों से जुड़ी फाइलें सोमवार को तलब की गई, ‎जिसमें गहलोत के विश्वस्त दो आइएएस अधिकारी निशाने पर हैं। करीब 1600 करोड़ रुपये के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DITC) घोटाले और करीब एक हजार करोड़ रुपये के ही जल जीवन मिशन घोटाले की जांच राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से करवाने के साथ ही सीबीआइ (CBI) और ईडी (ED) जैसी केंद्रीय एजेंसियों का भी सहयोग लेने पर विचार किया जा रहा है।कुछ दिनों में इस बारे में अधिकारिक निर्णय ‎लिया जा सकता है।

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डीआइटीसी घोटाले में वित्त एवं डीआइटीसी के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा और जल जीवन मिशन घोटाले में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल भाजपा सरकार के निशाने पर हैं। जल जीवन मिशन घोटाले की जांच ईडी (ED) अपने स्तर पर कर रही है। तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी और अग्रवाल के ठिकानों पर ईडी (ED) की छापेमारी विधानसभा चुनाव से पहले हो चुकी है। अब राज्य सरकार अपनी तरफ से दोनों केंद्रीय एजेंसियों से जांच की सिफारिश करने की तैयारी कर रही है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान इन दोनों घोटालों को कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाया था।

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भजनलाल शर्मा की सरकार का मानना है कि दोनों अधिकारियों की घोटालों में भूमिका रही है। गौरतलब है ‎कि मामले में जयपुर के योजना भवन में डीआइटीसी कार्यालय की एक अलमारी से 2.31 करोड़ रुपये और एक किलो सोना मिलने के बाद अरोड़ा की भूमिका की जांच के लिए एसीबी ने गहलोत सरकार से छह अक्टूबर को अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई थी। इस मामले से जुड़ी फाइल को ही गायब कर दिया गया था। अब नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह फाइल तलब की है। इस मामले में एसीबी ने एफआइआर दर्ज की थी। इसी को आधार मानकर ईडी ने भी मामला अपने हाथ में लिया है।

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