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नई दिल्ली : योगी चलाता रहा स्टॉक एक्सचेंज ?, NSE की पूर्व CEO के खुलासे से मचा हड़कंप।

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानी SEBI की जांच में चौकाने वाले खुलासे किये हैं।

मुम्बई : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व सीईओ (CEO) और MD चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) अपने कार्यकाल के दौरान हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात ‘योगी’ से कई साल तक ईमेल के जरिये बिज़नेस और स्टॉक मार्केट से जुडी गोपनीय जानकारी साझा करती रहीं और उससे निर्देश भी लेती रहीं।
ये अहम खुलासा खुद चित्रा ने मार्किट रेगुलेटर SEBI की जांच में किया है। स्टॉक मार्किट के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला हो सकता है, और इसकी आगे उच्चस्तरीय जांच करना जरूरी हो गया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्णा ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानी SEBI की जांच में चौकाने वाले खुलासे किए हैं।
बता दें कि सवालों के कठघरे में खड़ीं NSE की पूर्व चित्रा रामकृष्णा ने माना है कि वो कई साल तक हिमालय में रहने वाले एक अज्ञात ‘योगी’ से गोपनीय जानकारी साझा कर रही थीं। वो इस अज्ञात ‘योगी’ से एनएसई से जुड़े महत्वपूर्ण बिज़नेस, स्टॉक मार्केट और एनएसई से जुड़े मसलों पर निर्देश लेती रहीं। सेबी की जांच के मुताबिक अज्ञात ‘योगी’ चित्रा के एडवाइज़र और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के ग्रुप ऑपरेटिंग अफसर अरविन्द सुब्रमणियन के करीबी हो सकते हैं। जांच के बाद बाजार नियामक ने चित्रा पर 3 करोड़ और अरविन्द सुब्रमणियन पर दो करोड़ का फाइन लगाया है।

गौरतलब है कि दोनों को कैपिटल मार्केट्स से 3 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से जब हमारे सहयोगी दीपक श्रीवास्तव ने इस मामले में और जानकारी के लिए संपर्क किया तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।

जानकारी के मुताबिक इस मामले में अज्ञात योगी की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि वो ना सिर्फ गोपनीय सूचना ईमेल के जरिये रिसीव कर रहा था, बल्कि ईमेल से निर्देश भी जारी कर रहा था। अज्ञात योगी की पहचान के लिए के लिए साइबर विशेषज्ञ की मदद लेना बेहद जरूरी होगा।
इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने इस मामले में हमारे सहयोगी दीपक से कहा, “इस पूरे घटना की हाई लेवल इंक्वायरी की जरूरत है। अज्ञात योगी कोई व्यक्ति था जिसने ईमेल बनाया था और वह ईमेल पर लगातार मैसेज भेज रहा था। यह ईमेल कहां से भेजा जा रहा था, किस कंप्यूटर पर रजिस्टर किया गया इसकी जांच साइबर विशेषज्ञ से कराई जानी चाहिए।

इस केस में कॉरपोरेट गवर्नेंस का विफल होना भी सामने आया है। सवाल ये उठ रहा है कि कोई भी सीईओ अपने ग्रुप ऑपरेटिंग अफसर की तनख्वाह खुद ही कैसे बढ़ा सकता है जबकि ये सिर्फ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एक विशेष कमेटी द्वारा ही मंजूर किया जा सकता था। वेद जैन ने कहा, यह मामला इंसाइडर ट्रेडिंग का भी हो सकता है। अज्ञात योगी की जांच पुलिस को सौपी जानी चाहिए क्योंकि यह एक आपराधिक मामला है। इस मामले में सेबी के अंतिम आदेश से कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। अब देखना महत्वपूर्ण होगा की जांच में सामने नए तथ्यों के आधार पर सेबी कितनी जल्दी आगे जांच की पहल करती है।

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