- पंचायत जौरा में सूचना का अधिकार का आवेदन जाते ही उसको वापस कर दिया जाता है।
- जनपद पंचायत सीईओ के द्वारा सूचना का अधिकार के कानून को दिखाया जा रहा है ठेंगा।
जौरा। जनपद पंचायत जौरा में खुलकर जनपद सीईओ की चल रही है तानाशाही जनपद पंचायत सीईओ की तानाशाही के आगे सूचना का अधिकार अधिनियम लड़खड़ा ती हुई नजर आ रही है। आपको बता दें कि ग्राम पंचायत अलापुर से सूचना के अधिकार के द्वारा कुछ बिंदुओं पर जानकारी चाही गई थी लेकिन ग्राम पंचायत अलापुर के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा जानकारी प्राप्त न कराने के उपरांत आवेदक के द्वारा प्रथम अपीलीय आवेदन जनपद पंचायत जौरा सीईओ महोदय के समक्ष प्रस्तुत किया गया लेकिन जनपद पंचायत सीईओ के द्वारा सूचना के अधिकार का आवेदन वापस करवा दिया गया। जब आवेदक के द्वारा जनपद पंचायत जौरा मे टेलीफोन निक वार्ता की गई तो उसमें बताया गया कि आप दोबारा आवेदन भेज दीजिए राजावत जी रिसीव कर लेंगे। हो सकता है करवा दिया हो किसी ने वापस ?
जनपद पंचायत सीईओ से ग्राम सरपंच व सचिव की अच्छी तालमेल से इस मामले को अंजाम दिया दिया जाता है जिससे पंचायतों में हो रहे घोटालों का खुलासा ना हो सके। आपको बता दें कि इस जनपद में सूचना का अधिकार के आवेदन कर्ताओं को जानकारी न देकर गुमराह किया जाता है अगर अपील कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से की जाती है तो पुलिस से तालमेल मिलाकर IPC354 जैसे संगीन झूठे मुकदमे में आरटीआई कार्यकर्ताओं को फसा दिया जाता है।
आपको बता दें कि ऐसे मामले के लिए माननीय कलेक्टर महोदय मुरैना को शिकायत भी की गई है, पंचायत के खिलाफ जांच व जनपद अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई है। इसके संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी को भी अवगत कराया गया है। जिससे आरटीआई कार्यकर्ताओं को परेशानियों का सामना ना करना पड़े ।